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मेरे दिल की बात

मेरा पूर्ण विश्वास है की हम जो भी परमपिता परमेश्वर से मन से मागते है हमें मिलता है जो नहीं मिलता यां तो हमारे मागने में कमी है यां फिर वह हमारे लिए आवश्यक नहींहै क्योकि वह (प्रभु ) हमारी जरूरतों को हम से बेहतर जनता है फिर सौ की एक बात जो देने की क्षमता रखता है वह जानने की क्षमता भी रखता है मलकीत सिंह जीत>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>> ................ मेरे बारे में कुछ ख़ास नहीं संपादक :- एक प्रयास ,मासिक पत्रिका पेशे से :-एक फोटो ग्राफर , माताश्री:- मंजीत कौर एक कुशल गृहणी , पिताश्री :-सुरेन्द्र सिंह एक जिम्मेदार पिता व् जनप्रतिनिधि (ग्राम प्रधान1984 -1994 /2004 - अभी कार्यकाल जारी है http://jeetrohann.jagranjunction.com/

शुक्रवार, 7 अक्टूबर 2011

रंग(बाबूजी होली है )

चाय ,चाय ,चाय ‘की आवाज ने मेरी नीद खोल दी |लगता है कोई स्टेशन आ गया ,आँख खुली तो सामने नीली टोपी पहने एक चाय वाला  लोगों को चाय डाल रहा था नजर टोपी से नीचे गयी तो चेहरा भी नीला ? दिमाग चकरा गया ,फिर मैंने पूंछ ही लिया भाई नीली टोपी क्यों -जवाब-बाबूजी होली है ;
वो तो ठीक है  चेहरा ?
फिर वाही जवाब -बाबूजी होली है बाबूजी चाय लेंगे ?
मैंने कहा डाल दो ,पर जैसे ही उसने चाय डाली मई दांग रह गया और बोला भाई टोपी ठीक है, चेहरा भी ठीक है, पर चाय ? चाय तो पहले ही रंगीन होती है ,दूध डालो तो गुलाबी न डालो तो काली रंग तो रंग ही है फिर नीली चाय क्यों “मै सोच रहा था फिर वाही जवाब मिले गा -बाबूजी होली है -पर नहीं इस बार जवाब बदल गया -चाय वाले ने इधर उधर देखा मुह मेरे कान के पास लाया और धीरे से फूस फुसाया -बाबूजी u p  है  !!!!
मै कुछ और पूछता उससे पहले वह ट्रेन से उतर चूका था |
मलकीत सिंह “जीत ”
9935423754

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