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मेरे दिल की बात

मेरा पूर्ण विश्वास है की हम जो भी परमपिता परमेश्वर से मन से मागते है हमें मिलता है जो नहीं मिलता यां तो हमारे मागने में कमी है यां फिर वह हमारे लिए आवश्यक नहींहै क्योकि वह (प्रभु ) हमारी जरूरतों को हम से बेहतर जनता है फिर सौ की एक बात जो देने की क्षमता रखता है वह जानने की क्षमता भी रखता है मलकीत सिंह जीत>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>> ................ मेरे बारे में कुछ ख़ास नहीं संपादक :- एक प्रयास ,मासिक पत्रिका पेशे से :-एक फोटो ग्राफर , माताश्री:- मंजीत कौर एक कुशल गृहणी , पिताश्री :-सुरेन्द्र सिंह एक जिम्मेदार पिता व् जनप्रतिनिधि (ग्राम प्रधान1984 -1994 /2004 - अभी कार्यकाल जारी है http://jeetrohann.jagranjunction.com/

शुक्रवार, 27 अप्रैल 2012

देवी तो नहीं है मेरी माँ


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देवी तो नहीं है मेरी माँ
कहूँगा भी नहीं
और न ही हो
सुना है रूठ जाती हैं देवियाँ
जरा जरा सी बात पर ,
पर माँ तो  नहीं रूठती
कभी नहीं
परी भी नहीं है मेरी माँ
नहीं देखा उनका देश
न रूप माँ की तरह
जो हमेंशा  है मेरे साथ
नहीं दूर  होती एक पल भी
कभी नहीं
हाँ सोचता हूँ कभी -कभी
कह दूँ भगवान का रूप
पर नहीं ,उसे भी तो नहीं देखा
किसी भी रूप में
हाँ मगर वो कहीं होगा तो
शायद माँ के ही रूप में
जब चला हूँ पथरीली राह
यां नंगे पाँव तपती दोपहर में
पाई है माँ की हथेलिया हमेशा
अपने पैरो व् उस जमीन के बीच
बचपन से सुनता आया हूँ
माँ देवी का रूप है ,
माँ परी है भागवान  की छाया है ,लेकिन
सब कुछ है इसके उलट
हाँ देविया हो सकती है माँ का एक रूप
भागवान भी होगा तो माँ की छाया सा ही
क्योंकि छाया तो अक्सर अँधेरे में
छोड़ देती है तनहा -अकेला
माँ नहीं कही भी नहीं
कभी नहीं
क्योकि देवी तो नहीं है मेरी माँ
जो रूठ जायेगी

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