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मेरे दिल की बात

मेरा पूर्ण विश्वास है की हम जो भी परमपिता परमेश्वर से मन से मागते है हमें मिलता है जो नहीं मिलता यां तो हमारे मागने में कमी है यां फिर वह हमारे लिए आवश्यक नहींहै क्योकि वह (प्रभु ) हमारी जरूरतों को हम से बेहतर जनता है फिर सौ की एक बात जो देने की क्षमता रखता है वह जानने की क्षमता भी रखता है मलकीत सिंह जीत>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>> ................ मेरे बारे में कुछ ख़ास नहीं संपादक :- एक प्रयास ,मासिक पत्रिका पेशे से :-एक फोटो ग्राफर , माताश्री:- मंजीत कौर एक कुशल गृहणी , पिताश्री :-सुरेन्द्र सिंह एक जिम्मेदार पिता व् जनप्रतिनिधि (ग्राम प्रधान1984 -1994 /2004 - अभी कार्यकाल जारी है http://jeetrohann.jagranjunction.com/

रविवार, 16 अक्तूबर 2011

दीपमाला



दीपमाला से सज़ा सारा  शहर ,
       दिल की गली फिर भी अँधेरी रह गई
      
जाने कहाँ हम खो गए ,खुशयां हमारी
                 अब हंसी बस तेरी यां मेरी रह गई

कान फोडू शोर की "तहजीब" में सब खो गए
              घर में" माँ" फिर से अकेली रह गई

अब तो मेरे घर भी चूल्हे चार है
        गाँव पूरा एक चूल्हा ,बस पहेली रह गई

चार आने में तभी चलता था घर
       घर चला जब आज मै ख़ाली हथेली रह गई

उजाले भी नहीं आते बिना रिश्वत के घर
            जब से "बहना"सत्ता की सहेली हो गई

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