मै जब भी देखता हूँ ,वो मेरे बचपन सी लगाती है
कभी वो तिनके चुनती ,
कभी वो सपने बुनती,
आंधियां तेज़ आतीं ,
सपने तिनका तिनका हों !
मगर वो फिर से सपना बुनती ,
और करती इंतजार
फिर से आंधियां आने का
ताकि सपने फिर से तिनका तिनका हों
और वो फिर से बुन सके
पहले से बेहतर
नए सिरे से
मेरे बचपन की तरहं .............!
वो नन्ही चिड़िया
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